सोमवार, 5 मई 2025

डीसी ऑफिस में शराब के नशे में हंगामा करने वाला आरक्षी रंजीत यादव निलंबित

गिरिडीह (Giridih)। समाहरणालय भवन स्थित उपायुक्त कार्यालय के समक्ष सोमवार को गिरिडीह जिला आरक्षी बल का एक जवान शराब के नशे में धुत हो हंगामा शुरू कर दिया। जवान की बेतुकी हरकतों से वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई। 



हालांकि मुफ्फसिल थाना प्रभारी और मौके पर मौजूद पुलिस बल ने काफी मशक्कत के बाद नशे में धुत जवान रंजीत कुमार यादव  को काबू कर उसे कार्यालय परिसर से बाहर निकाला।


वहीं दूसरी ओर गिरिडीह जिला बल के आरक्षी रंजीत कुमार यादव द्वारा समाहरणालय भवन में किये  शोर शराबा एवं हंगामा की घटना, पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आते ही पुलिस अधीक्षक डॉ बिमल कुमार ने त्वरित कारवाई करते हुए उक्त आरक्षी रंजीत कुमार यादव को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। 
वहीं उन्होंने इस घटना के संबंध में विस्तृत जाँच का आदेश दिया है।

पहचान से पहले पुलिस ने किया शव का अंतिम संस्कार, परिजन लगा रहे हत्या का आरोप

जमशेदपुर (Jharkhand)। बागबेड़ा थाना क्षेत्र के रेलवे ट्रैफिक कॉलोनी स्थित एक खाली क्वार्टर से पुलिस ने बीते 24 अप्रैल को एक सड़ी गली लाश बरामद की थी। लाश की पहचान नहीं होने के कारण पुलिस ने बीते 29 अप्रैल को हिन्दू रीति-रिवाज से शव का अंतिम संस्कार कर दिया। अब युवक की पहचान जुगसलाई निवासी 26 वर्षीय सैफ अली के रूप में हुई है। वह एक मुस्लिम युवक था। सैफ अली की मौत ने अब नया मोड़ ले लिया है। परिजन इसे हत्या बताते हुए पुलिस पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं। 


जानकारी के अनुसार जुगसलाई के गोलघर स्कूल निवासी सैफ अली किसी महिला से शादी करना चाहता था। जिसका परिवार ने विरोध किया। इसके बाद से सैफ बीते 11 अप्रैल 2025 को घर से निकला और लापता हो गया। परिजन कई बार जुगसलाई थाना गए, लेकिन पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इधर, 24 अप्रैल को बागबेड़ा थाना क्षेत्र के रेलवे ट्रैफिक कॉलोनी स्थित एक खाली क्वार्टर (T/105/1/12) से एक सड़ा-गला शव बरामद हुआ। पहचान नहीं होने पर पुलिस ने अखबारों में सूचना दी और फिर 29 अप्रैल को पार्वती बर्निंग घाट में शव का अंतिम संस्कार कर दिया। 3 मई को सैफ की बहन शब्बो को मामले की जानकारी मिली। उन्होंने थाना जाकर तस्वीर दिखाई, जिससे पुष्टि हुई कि शव उनके भाई का था। 


परिवार ने आरोप लगाया कि शव का धर्म जाने बिना अंतिम संस्कार कर दिया गया, जबकि सैफ मुस्लिम थे और उन्हें दफनाया जाना चाहिए था। परिजनों का कहना है कि सैफ की मौत करंट लगने से नहीं, बल्कि हत्या की साजिश है। परिजन अब हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराने और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। बागबेड़ा थाना प्रभारी गोपाल कृष्ण यादव ने कहा कि शव की हालत खराब थी। परिजन जो शिकायत देंगे, उस आधार पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रेमिका की मौत के बाद प्रेमी ने मांग में सिंदूर भर बनाया दुल्हन, लिया आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प

कोलकाता (West Bengal)। केंसर से जूझ रही प्रेमिका की मौत के बाद उसके प्रेमी ने उसकी मांग में सिंदूर भरकर उसे अपनी पत्नी बनाया। फिर उसकी अर्थी को उसके मायके से अपने घर लाया है। ठीक उसी तरह जैसे किसी नई नवेली दुल्हन को शादी के बाद विदाई कर उसका पति उसे उसके ससुराल लाता है। अपनी प्रेमिका को अर्थी को अपने घर लाकर प्रेमी ने पूरे पारम्परिक तरीके जैसे एक सुहागन की मौत के बाद विदाई होती है, ठीक उसी तरह अपने घर से विदा कर उसकी अर्थी को श्मशान घाट पहुंचाया, जहां उसका अंतिम संस्कार किया गया। ...... यह कोई फ़िल्म की कहानी नहीं है। बल्कि वास्तविक घटना है। पश्चिम बंगाल के कोलकाता के हावड़ा इलाके की है। इस घटना ने लोगों के दिलों को गहराई से छू लिया है।



23 वर्षीय मीली मंडल और सागर बारिक कई वर्षों से प्रेम संबंध में थे और जल्द ही शादी करने वाले थे। लेकिन दुर्भाग्यवश, मीली की बीमारी ने उनकी खुशियों को रोक दिया। कैंसर से जूझ रही मीली की हालत अचानक बिगड़ गई और उसने अंतिम सांस ली।


मीली की असमय मौत के बाद भी सागर का प्यार कम नहीं हुआ। उसने अपनी मृत प्रेमिका की अंतिम यात्रा से पहले उसकी मांग में सिंदूर भरकर उसे अपनी पत्नी बना लिया। इसके साथ ही उसने जीवन भर अविवाहित रहने का संकल्प लिया, ताकि उनकी प्रेम कहानी अमर रह सके। शादी के बाद मीली को उसके पिता के घर से सागर के घर ले जाया गया, ठीक वैसे ही जैसे एक नवविवाहिता को ले जाया जाता है, और फिर उसे अंतिम संस्कार के लिए ले जाया गया।


सागर ने बताया कि वह मीली की सभी इच्छाओं को पूरा करना चाहता था। मीली ने पहले उसे अपने कैंसर के बारे में बताया था और दोनों अस्पताल भी साथ गए थे। वह कालीघाट मंदिर में पूजा करना चाहती थी, लेकिन बीमारी के कारण ऐसा नहीं हो पाया। सागर ने उसकी अंतिम यात्रा पूर्व उससे शादी कर उसकी अंतिम इच्छा पूरी की।



मीली के भाई अनिमेष मंडल ने कहा कि उनकी बहन बहुत भाग्यशाली थी कि उसके जीवन में सागर जैसा समर्पित व्यक्ति था। कहा कि सागर और उसका परिवार मिली के कठिन समय में उनके साथ थे। कहा कि सागर और मिली का प्यार सच्चा था। उनकी प्रेम कहानी ने मृत्यु को भी परास्त कर एक सच्ची प्रेम की मिसाल पेश की है।


नकाबपोश अपराधी ने इलेक्ट्रॉनिक दुकान संचालक को मारी गोली, मौत

साहिबगंज (Jharkhand)।  साहिबगंज में अपराधियों मनोबल इस कदर बढ़ गया है कि वे सरेआम लोगों को गोली मारने से गुरेज नहीं करते। इतना ही नहीं घटना को अंजाम से पूरे शान से घटनास्थल से निकल भी जाते है। 


 साहिबगंज नगर थाना क्षेत्र में रविवार की रात करीब 8 बजे इसी ही घटना घटित हुआ। अपराधी ने एक इलेक्ट्रॉनिक दुकान के संचालक की छाती में बन्दूक सटाकर उस वक्त गोली मार दी, जब वह अपने दुकान में बैठकर कस्टमर्स को डील कर रहा था। इसी दौरान एक नकाबपोश उसके दुकान में दाखिल हुआ और दुकान के गल्ले पर बैठा दुकानदार संजीव साह को छाती में बंदूक़ सटाकर गोली मार दी। 


घटना में घायल इलेक्ट्रॉनिक दुकान के संचालक संजीव साह को अस्पताल ले जाने की तैयारी चल ही रही थी, उसके पूर्व संजीव की मौत हो गई। सूचना मिलते ही साहिबगंज नगर थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और दुकान में लगी सीसीटीवी को खंगाला। जिसमे स्पष्ट दिख रहा है कि अपराधी ने दुकानदार की छाती में बन्दूक सटा कर गोली मारा है। बहरहाल पुलिस मामले की छनबीन करने में जुटी है।

झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को लेकर आपस मे भीड़ी है केंद्र व राज्य सरकार

रांची (Giridih)। राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश में संभवतः पहली बार डीजीपी जैसे पद को लेकर ऐसी अजीबोगरीब स्थिति पैदा हुई है। जिसमे केंद्र और राज्य सरकार डीजीपी जैसे पद को लेकर आपस मे भीड़ गए है। बता दें कि झारखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच तकरार छिड़ गई है। केंद्र सरकार ने इस पद पर कार्यरत 1990 बैच के आईपीएस अनुराग गुप्ता को रिटायर घोषित कर दिया है, जबकि झारखंड सरकार ने राज्य में पिछले साल लाई गई डीजीपी नियुक्ति नियमावली का हवाला देते हुए उन्हें इस पद पर बरकरार रखा है। 



केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को नौ दिनों में दूसरी बार पत्र लिखकर आईपीएस अनुराग गुप्ता की रिटायरमेंट की सूचना दी है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि अखिल भारतीय सेवा की नियमावली के अनुसार 60 वर्ष की आयु पूरी करने पर वह 30 अप्रैल, 2025 को स्वतः सेवानिवृत्त हो गए हैं। इस तिथि के बाद उन्हें इस पद पर बनाए रखना अवैध, अखिल भारतीय सेवा (मृत्यु-सह-सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 के नियम 16(1) के विपरीत और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना है। केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के अंडर सेक्रेटरी संजीव कुमार के हस्ताक्षर से 22 अप्रैल को झारखंड के मुख्य सचिव को भेजे गए पहले पत्र में आईपीएस अनुराग गुप्ता को 30 अप्रैल की तिथि से रिटायर करने का निर्देश दिया गया था।

                 डीजीपी अनुराग गुप्ता


इसके जवाब में झारखंड सरकार ने 30 अप्रैल को केंद्र को मेल भेजकर बताया कि राज्य में 'पुलिस महानिदेशक का चयन और नियुक्ति नियमावली-2025' गठित और अधिसूचित की गई है। इसी नियमावली के तहत अनुराग गुप्ता को 2 फरवरी, 2025 को दो वर्षों के लिए पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्त किया गया है। झारखंड सरकार ने अपने पत्र में सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय का हवाला दिया, जिसमें डीजीपी के पद पर न्यूनतम दो वर्षों के लिए नियुक्ति होनी है। इसके बाद केंद्र सरकार ने झारखंड सरकार को दूसरी बार पत्र भेजा है। इसमें अनुराग गुप्ता को डीजीपी के पद पर बनाए रखने के झारखंड सरकार के निर्णय और दलीलों को खारिज कर दिया है। केंद्र ने कहा है कि अपनी जिस नियमावली का हवाला देकर झारखंड सरकार ने अनुराग गुप्ता को डीजीपी के रूप में नियुक्त किया है और उन्हें 30 अप्रैल के बाद भी इस पद पर बनाए रखा है, वह अवैध है।


उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता वाली कैबिनेट ने 8 जनवरी को 'पुलिस महानिदेशक का चयन और नियुक्ति नियमावली-2025' को मंजूरी दी थी। इसके तहत डीजीपी की नियुक्ति के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई और उसकी अनुशंसा पर अनुराग गुप्ता को 2 फरवरी, 2025 की तारीख से स्थायी डीजीपी के रूप में नियुक्त करने की अधिसूचना जारी की गई थी। इस अधिसूचना में कहा गया था कि गुप्ता का कार्यकाल नई नियमावली के अनुसार होगा। इस नियमावली में डीजीपी का कार्यकाल दो वर्ष निर्धारित किया गया है।

गिरिडीह में फेंकी मिली मरीजों को दी जाने वाली लाखों रूपये की दवाइयां, स्वास्थ्य महकमा में हड़कंप

गिरिडीह (Giridih)। जिले में मरीजों को वितरित की जाने वाली लाखों रुपये की जीवनरक्षक दवाएं सड़क किनारे फेंकी मिली है। मामला जिले के राजधनवार प्रखंड के धनवार-सरिया मार्ग पर बिरनी और धनवार की सीमा के पास की है। स्थानीय लोगों ने जब यह दृश्य देखा, तो उन्होंने तुरंत प्रशासन को सूचित किया, जिससे स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

जानकारी के अनुसार रविवार को जब श्रीरामडीह पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि और पंचायत समिति सदस्य ने बिना एक्सपायरी के वैक्सीन, इंजेक्शन, टेबलेट, कैप्सूल सहित लाखों रूपये कई दवाइयां सड़क फेंका देखा, तो उन्होंने स्थानीय प्रशासन को इसकी सूचना दी।


सूचना मिलते ही परसन ओपी के सीआई रामलखन मिस्त्री सदल बल घटनास्थल पहुंचे। वहीं सूचना पाकर अस्पताल कर्मी भी एम्बुलेंस लेकर घटनास्थल पहुंचे। मुखिया प्रतिनिधि ने बताया कि लगभग दस बोरा से भी अधिक दवा फेंकी गई थी। जिन्हें अस्पताल कर्मी एम्बुलेंस में लाद कर धनवार ले गए। 


इस बाबत धनवार के प्रभारी चिकित्सा प्रभारी डॉ इंदुशेखर से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि यह धनवार ब्लॉक की दवा नहीं है। उन्होंने इस तरह दवाइयों के फेंके जाने को गलत बताया है। साथ ही उन्होंने कहा सिविल सर्जन को इसकी बारीकी से जांच करनी चाहिए।