शनिवार, 23 अगस्त 2025

अखण्ड सौभाग्य का व्रत हरितालिका तीज 26 अगस्त को, जानिये शुभ मुहूर्त व पुजा विधान

NEWS UPDATE JHARKHAND न्यूज डेस्क : सनातन परंपरा में हरतालिका तीज के व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। इस व्रत को शादीशुदा औरतें पति की लंबी आयु और कुंवारी कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए करती हैं। यह व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि पर रखा जाता है। हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता गौरी की पूजा के लिए समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर पूरे साल वैवाहिक सुख बना रहता है और जीवनसाथी को दीर्घायु प्राप्त होती है। इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए रखा था।


उदया तिथि के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त को रखा जाएगा। इस साल तीज पर चार विशिष्ट योग भी बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि, शोभन, गजकेसरी और पंचमहापुरुष योग बनने से तीज व्रत का महात्म्य और भी बढ़ गया है। इन चारों ही योगों के फल अत्यंत शुभ और लाभप्रद हैं। गजकेसरी योग का महत्व विशेष रूप से माना गया है। इस प्रकार की ग्रहीय स्थिति लंबे अंतराल पर बनती है।

तृतीया तिथि प्रारंभ : 25 अगस्त की दोपहर 12:34 बजे से

तृतीया तिथि समाप्त : 26 अगस्त की दोपहर 1:54 बजे तक।



अखंड सौभाग्य का वरदान

सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्था है। महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्य का वरदान देते हैं, वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।


हरितालिका तीज का पूजन समय

जिन परिवारों में तृतीया तिथि के अंतर्गत ही तीज पूजन का विधान है उन्हें 26 अगस्त को दोपहर 1:54 बजे से पहले पूजा करनी होगी।

  दूसरी मान्यता यह भी है कि उदय काल में मिलने वाली तिथि यदि मध्याह्न बाद बदल जाती है तो भी सूर्यास्त तक उस तिथि का मान किया जाता है। सूर्यास्त से पूर्व पूजन कर लेना श्रेयष्कर होगा।


हरितालिका तीज पूजा मुहूर्त

प्रात:काल 05 बजकर 56 मिनट से लेकर 08 बजकर 31 मिनट तक


पूजा विधि

●हरतालिका तीज पर रेत, मिट्टी, गोबर, शहद आदि से बनाए गये शिव-पार्वती के पार्थिव प्रतिमा की पूजा का विधान है।

●शिव पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने के बाद इस व्रत का गुणगान करने वाली हरतालिका व्रत कथा जरूर कहें या ​सुनें।

●हरतालिका तीज व्रत वाले दिन गेहूं का दान करने से इस व्रत का पुण्यफल और भी ज्यादा बढ़ जाता है।

●हरतालिका तीज के दिन खाली समय में भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें।



हरतालिका तीज की पौराणिक कथा

हरतालिका दो शब्दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका। हरत का मतलब है 'अपहरण' और आलिका यानी 'सहेली'।

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती के पिता हिमालय की इच्छा भगवान विष्णु से देवी पार्वती की  विवाह कराने की थी। जबकि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थी। देवी पार्वती के सहेलियों ने उन्हें उनके पिता हिमालय की इच्छा के विरुद्ध भगवान शिव से विवाह के लिए मनाने के लिए उनका अपहरण किया था और उन्हें घने जंगल में ले जाकर छिपा दी थीं। ताकि उनके पिता भगवान विष्णु से मां पार्वती की  विवाह न करा पाएं।





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