न्यूज अपडेट झारखण्ड न्यूज डेस्क : हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक चैत्र नवरात्र मनाया जाता है। चैत्र नवरात्रि के साथ हिंदू नववर्ष की भी शुरुआत होती है। इन नौ दिनों में जगत जननी आदि शक्ति मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शनिवार 29 मार्च को शाम 4:27 पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 मार्च को दोपहर 12:49 पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। अतः 30 मार्च को घटस्थापना है। इस दिन से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होगी।
खास बात यह है कि इस साल देवी दुर्गा हाथी पर सवार होकर अपने भक्तों से मिलने आ रही हैं और हाथी पर ही वापस जाएंगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता का हाथी पर आगमन और प्रस्थान बहुत शुभ माना जाता है।
मां दुर्गा के वाहन और उसका महत्व :
माता किस वाहन पर आएंगी और जाएंगी, यह नवरात्रि के आरंभ और समाप्ति के दिन पर निर्भर करता है।
अगर नवरात्रि रविवार या सोमवार से शुरू और खत्म हो रही है, तो माता हाथी पर आती और जाती हैं। यह सुख-समृद्धि और अच्छी बारिश का संकेत है।
वहीं अगर नवरात्रि मंगलवार या शनिवार से शुरू या समाप्त होती है तो ऐसे में माता घोड़े पर आती और घोड़े पर ही वापस जाती हैं। इसे संघर्ष और उथल-पुथल का संकेत माना जाता है।
यदि नवरात्रि गुरुवार या शुक्रवार से शुरू या समाप्त हो रही है तो, ऐसे में माता पालकी पर आती और जाती हैं। यह वाहन अस्थिरता और चुनौतियों का संकेत देता है।
इसके अलावा अगर नवरात्रि बुधवार से शुरू और समाप्त होती है, तो माता नौका पर आती और जाती हैं, जिससे आपदा से मुक्ति और जीवन में शांति का प्रतीक माना गया है।
घटस्थापना मुहूर्त
घटस्थापना मुहूर्त - 06:13 से 10:22
अवधि - 04 घण्टे 08 मिनट
आभीजित मुहूर्त - 12:01 से 12:50
अवधि - 00 घण्टे 50 मिनट
पूजा-विधि
सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर साफ करें
माता का गंगाजल से अभिषेक करें
अक्षत, लाल चंदन, चुनरी और लाल पुष्प अर्पित करें
प्रसाद के रूप में पूरी, चना और खीर/हलवा चढ़ाएं
घर के मंदिर में धूपबत्ती और घी का दीपक जलाएं
दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें
हवन पूजन करें
पान के पत्ते पर कपूर रख माता की आरती करें
अंत में क्षमा प्राथर्ना करें
व्रत का पारण :
नवरात्रि के 9 दिनों का व्रत रखने पर दशमी तिथि पर व्रत का पारण करना चाहिए। दशमी तिथि 06 अप्रैल को शाम 07:23 मिनट से शुरू हो रही है, जो 07 अप्रैल को शाम 8 बजे तक रहेगी। वहीं, कुछ नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं। ऐसे में जरूरी नहीं की दशमी तिथि लगने के बाद ही किया जाए। अष्टमी के दिन व्रत रखा है तो नवमी के दिन पूजा-पाठ करने के बाद व्रत तोड़ सकते हैं।
मंत्र
।। ऊं दुर्गाय नम:।।
।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।।
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
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