कलश स्थापना के साथ कल से शुरू होगा नवरात्र
इस बार नवरात्र में दो गुरुवार का है शुभ संयोग
दो गुरुवार का अत्यंत शुभ संयोग
इस बार की नवरात्रि में दो गुरुवार पड़ रहे हैं। जिसे अत्यंत शुभ माना जा रहा है। क्योंकि गुरुवार को दुर्गा पूजा का हजार-लाख गुना नहीं बल्कि करोड़ गुना फल मिलता है।
चित्रा नक्षत्र में नौका पर होगा माँ का आगमन
शुभ योगों का बन रहा संयोग
इस दौरान ग्रहों की स्थिति भी बेहद शुभ है। शुक्र अपने घर में विराजमान है, जोकि बेहद शुभ स्थिति है। इस बार राजयोग, द्विपुष्कर, अमृत, स्वार्थ और सिद्धियोग का संयोग भी बन रहा है। इस संयोग में किसी भी नए कार्य की शुरुआत फलदाई रहेगी।
कलश स्थापना का मूहूर्त
वर्ष में होती है दो नवरात्रि
गौरतलब है कि एक वर्ष में दो नवरात्रि होते हैं। प्रथम नवरात्रि चैत्र मास में शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होती हैं और रामनवमी तक चलती है। जबकि शारदीय नवरात्र आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से लेकर विजयदशमी के दिन तक चलती है। दोनों ही नवरात्रि के पूजन विधान में कोई अंतर नहीं होता है। इस बार आश्विन (शारदीय) महानवरात्र 10 से 19 अक्तूबर तक रहेगा. 18 अक्टूबर को अंतिम नवरात्रि होगी।
इस बार नवरात्र में दो गुरुवार का है शुभ संयोग
मां दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व दुर्गा पूजा 10 अक्टूबर को कलश स्थापना के साथ शुरू होगी और इसके साथ ही नवरात्रि का त्योहार भी शुरू हो जाएगा। नवरात्र के नौ दिनों में मां के अलग-अलग रुपों की पूजा को शक्ति की पूजा के रुप में भी देखा जाता है। नवरात्र पर देवी पूजन और नौ दिन के व्रत का बहुत महत्व है।
दो गुरुवार का अत्यंत शुभ संयोग
इस बार की नवरात्रि में दो गुरुवार पड़ रहे हैं। जिसे अत्यंत शुभ माना जा रहा है। क्योंकि गुरुवार को दुर्गा पूजा का हजार-लाख गुना नहीं बल्कि करोड़ गुना फल मिलता है।
चित्रा नक्षत्र में नौका पर होगा माँ का आगमन
नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में हो रहा है। वहीं नवमी श्रवण नक्षत्र में है। इस दिन ध्वज योग भी है। इस बार मां दुर्गा नौका पर आ रहीं हैं। जबकि माँ हाथी पर सवार होकर विदा होगी। लाभ, शुभ, अमृत (राहु काल छोड़कर) स्थिर लग्न में घट स्थापना कर सकते है।
शुभ योगों का बन रहा संयोग
इस दौरान ग्रहों की स्थिति भी बेहद शुभ है। शुक्र अपने घर में विराजमान है, जोकि बेहद शुभ स्थिति है। इस बार राजयोग, द्विपुष्कर, अमृत, स्वार्थ और सिद्धियोग का संयोग भी बन रहा है। इस संयोग में किसी भी नए कार्य की शुरुआत फलदाई रहेगी।
कलश स्थापना का मूहूर्त
नवरात्र में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। आचार्य सतीश मिश्र के अुनसार सुबह 06:18 बजे से 10:11 बजे तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है।अगर किसी कारणवश विशेष मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाएं तो पूरे दिन किसी भी समय कलश स्थापना किया जा सकता है। क्योंकि नवरात्र के शुरू होने पर शुभ समय भी शुरू हो जाता है। नौ दिनों तक माता के भक्त उनकी पूजा-अर्चना करेंगे। इसलिए माँ अपने भक्तों का कभी बुरा नहीं मानतीं।
वर्ष में होती है दो नवरात्रि
गौरतलब है कि एक वर्ष में दो नवरात्रि होते हैं। प्रथम नवरात्रि चैत्र मास में शुक्ल प्रतिपदा से आरंभ होती हैं और रामनवमी तक चलती है। जबकि शारदीय नवरात्र आश्विन माह की शुक्ल प्रतिपदा से लेकर विजयदशमी के दिन तक चलती है। दोनों ही नवरात्रि के पूजन विधान में कोई अंतर नहीं होता है। इस बार आश्विन (शारदीय) महानवरात्र 10 से 19 अक्तूबर तक रहेगा. 18 अक्टूबर को अंतिम नवरात्रि होगी।
मारामारी के पावन चरणो मे बारम्बार प्रणाम ।जय माता दी ।
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