सोमवार, 2 दिसंबर 2024

झारखण्ड में 1542 नये एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की हुई पहचान


रांची। झारखंड में एचआईवी संक्रमितों की संख्या हर रोज बढ़ रही है। विश्व एड्स दिवस (01दिसंबर) के पहले झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी की ओर से जारी आंकड़ा बताता है कि राज्य में हर रोज औसतन सात एचआईवी संक्रमितों की पहचान हो रही है। इस साल एक अप्रैल से अक्टूबर के अंत तक यानी सात महीने में राज्य में 1542 नए एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है। इनमें आठ नवजात भी शामिल हैं।



स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, सात महीने में राज्य में कुल 6 लाख 56 हजार लोगों की स्क्रीनिंग से यह आंकड़ा सामने आया है। सबसे ज्यादा 203 एचआईवी संक्रमितों की पहचान रांची में की गई है, जबकि पूर्वी सिंहभूम में 194, हजारीबाग में 149 और धनबाद जिले में 124 एचआईवी मरीज पाए गए हैं। गढ़वा एवं गिरिडीह जिले में एक भी एचआईवी संक्रमित नहीं पाया गया। जबकि लोहरदगा में चार और सिमडेगा एवं चतरा जिले में आठ-आठ मरीजों की पहचान हुई है। पिछले साल राज्य में कुल 12 लाख से भी अधिक लोगों की स्क्रीनिंग के बाद 2074 एचआईवी संक्रमितों की पहचान हुई थी।



एचआईवी संक्रमितों के इलाज के लिए राज्य में कुल 14 एआरटी (एंटी रेट्रो वायरल ट्रीटमेंट) सेंटर बनाए गए हैं। इन केंद्रों पर उन्हें निःशुल्क दवाइयां भी उपलब्ध कराई जाती हैं। रांची के रिम्स स्थित एआरटी सेंटर में सबसे ज्यादा करीब 1600 एचआईवी मरीज हर माह दवा लेते हैं। राज्य में एचआईवी संक्रमण के 90 प्रतिशत से भी ज्यादा मामलों में यह पाया गया है कि रोजगार के सिलसिले में बाहर के प्रदेशों में लंबे समय तक रहने वाले लोग संक्रमण लेकर लौट रहे हैं। इनमें निम्न आय वर्ग के लोगों की संख्या ज्यादा है। ऐसे सैकड़ों केस हैं जिसमें ट्रक ड्राइवर और प्रवासी मजदूर बाहर से संक्रमण लेकर आए।


झारखंड एड्स कंट्रोल सोसाइटी का दावा है कि मरीजों की लगातार मॉनिटरिंग और काउंसलिंग की जा रही है। गर्भवती महिलाओं की एचआईवी जांच अनिवार्य तौर पर कराई जा रही है, ताकि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं से बच्चों में एड्स के संक्रमण को रोका जा सके। पिछले एक साल में जिन एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की पहचान हुई है, उनमें 198 गर्भवती महिलाएं भी हैं। सोसाइटी उन लोगों को ही एक्टिव संक्रमित मानता है, जो एआरटी सेंटरों में पहुंचकर जांच कराते हैं। एड्स और एचआईवी संक्रमितों को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। उन्हें अंत्योदय अन्न योजना, आयुष्मान भारत, जनधन योजना, इंटीग्रेटेड चाइल्ड प्रोटेक्शन से भी जोड़ा गया है।

रांची के नामकुम स्थित आरसीएच कार्यालय से रेस्क्यू किया गया दुर्लभ प्रजाति का सांप

रांची। राजधानी रांची के नामकुम स्थित आरसीएच कार्यालय से एक दुर्लभ प्रजाति का सांप रेस्क्यू किया गया। इस सांप ओरनेट फ्लाईंग स्नेक (तक्षक नाग) की लंबाई लगभग 3 फीट है। इस सांप को उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है।


बताया गया कि यह सांप आरसीएच कार्यालय में दवा के कार्टून के अंदर देखा गया। सांप को देखते ही कार्यालय के कर्मियों के बीच हड़कंप मच गया। कर्मियों ने तत्कालपिठोरिया निवासी स्नेक रेस्क्यूवर रमेश कुमार महतो को इसकीं सूचना दी। सूचना पाकर स्नेक रेस्क्यूवर रमेश कुमार महतो  वहां पहुंचे और उन्होंने ओरनेट फ्लाईंग स्नेक (तक्षक नाग) का रेस्क्यू किया।


रमेश ने बताया कि यह सांप दुर्लभ प्रजाति का है। पूरे झारखंड में इस प्रजाति का सांप पहली बार इसे रेस्क्यू किया गया है। यह सांप ज्यादातर पठारी क्षेत्र के झाड़ीनुमा जगहों पर पाया जाता है। यह सांप 100 फीट ऊपर से नीचे जंप कर सकता है। इसलिये इसे उड़ने वाला सांप भी कहा जाता है।


यह जमीन में बहुत कम आता है। अधिकतर यह पेंड़ पर ही रहता है। इसका भोजन मुख्य रूप से छिपकली एवं कीड़े-मकौड़े हैं। यह सांप विलुप्ति के कगार पर है। यह भारत में रेयर कैटेगरी में आता है। इस सांप के जेनेटिक के बारे में रिसर्च होगा। इसलिए इसे बिरसा जैविक उद्यान को सुपुर्द कर दिया जाएगा।