मंगलवार, 26 नवंबर 2024

संविधान दिवस आज, आज ही के दिन देश को मिला था अपना संविधान


भारत का संविधान
यह एक लिखित दस्तावेज है जो सरकार और उसके संगठनों के मौलिक बुनियादी संहिता, संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण करने वाले ढांचे को निर्धारित करता है। इसे 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा अंगीकृत किया गया था और यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।


हमारे देश में प्रति वर्ष 26 नवंबर को संविधान दिवस (Constitution Day) के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि संविधान सभा ने हमारे संविधान को 26 नवंबर 1949 को स्वीकार किया था।



संविधान निर्माण में लगे 2 साल 11 महीने और 17 दिन 

इसके कवर पेज पर स्वर्ण अक्षर से भारतीय संविधान अंकित है। प्रति के कुल 231 पेज हैं, जिनमे संविधान के अनुच्छेद 344 से लेकर 351 तक का उल्लेख है। देश का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा को 2 साल 11 महीने और 17 दिन लगे थे। इस दौरान संविधान की सभा की कई सभाएं हुई थीं। संविधान सभा के 284 सदस्यों के मूल हस्ताक्षर भी इस प्रति में मौजूद हैं। इन 284 लोगों में 15 महिलाएं भी शामिल थीं। 

संविधान का प्रस्तावना :

हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बनाने तथा उसके समस्त नागरिकों को निम्नलिखित सुरक्षा प्रदान करने के लिए सत्यनिष्ठा से संकल्प लेते हैं:
न्याय, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक;
विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, आस्था और उपासना की स्वतंत्रता;
सभी के बीच प्रतिष्ठा और अवसर की समानता को बढ़ावा देना;
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता का आश्वासन देने वाली बंधुता;
अपनी संविधान सभा में, आज दिनांक 26 नवम्बर 1949 को, हम इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं।



संविधान 26 जनवरी 1950 को हुआ लागू

देश को आजादी 15 अगस्त 1947 को मिल गई थी लेकिन हमारा संविधान 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था।

गौरवशाली है हमारा गिरिडीह


हमारा गिरिडीह गौरवशाली है। यहां के जिला पुस्तकालय में संविधान की मूल प्रति उपलब्ध है।एक अप्रैल 2003 को कोलकाता के राजा राममोहन राय फाउंडेशन से संविधान की मूल प्रति यहां मंगाया गया था। संविधान के इस मूल प्रति पर देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद एवं डॉ भीमराव आंबेडकर के मूल हस्ताक्षर के अलावा सच्चिदानंद सिन्हा का हस्ताक्षर हैं।

पुस्तकालय के अध्यक्ष ने बताया कि संविधान की मूल प्रति को ले जाने के लिये यहां कई लोग आते हैं लेकिन इसे राज्य का धरोहर बता कर किसी को नहीं दिया जाता है। यहां इस ऐतिहासिक संविधान का अवलोकन करने प्रतिदिन कई लोग आते हैं।